Monday 30 May 2011

जल जाना है मुझे

जल जाना है मुझे इस लौ में
मत रोको !
हठ नहीं निश्चय है मेरा
जानता हूँ
यह चमक एक छल है
जानता हूँ !

बंधा हूँ अपने अहंकार से
बढ़ा जा रहा हूँ..
स्वार्थ के सम्मोहन में
अपने अंत की ओर,
जानता हूँ!

सिर्फ यह झूठी आस लिए,
के शायद अँधेरे के उस पार ही ज़िन्दगी हो

मिट जाऊंगा मैं जानता हूँ
और जानते हैं सभी,
मगर बढ़ रहे हैं उस लौ की ओर
प्रकाश के भ्रम में,
अपने जननी को छोर
भंवर में अकेले असहाय,

चूका नहीं सकते उनके ऋण हम कभी
जानता हूँ,
और जानते हैं सभी!

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